क्या मरने के लिए जियें? नहीं, हमेशां के लिये जियें
विज्ञान ने इतनी अधिक दिशाओं में उन्नति कर ली है, यहां तक की अंतरिक्ष भी खोज निकाला, परन्तु मृत्यु का विषय आज भी खोजा नहीं जा सका। कुछ डॉक्टर, वैज्ञानिक और दार्शनिक हैं जिन्होंने मृत्यु की घटना के विषय में और मृत्यु के बाद क्या होता है उसके बारे में स्वयं अध्ययन किया है। वैज्ञानिक आज मानव शरीर और इस उपग्रह पर उसके अस्तित्त्व, अणुओं और प्राकृतिक प्रलय आदि सच्चाइयों के बारे में संसार को समझा रहे है, लेकिन हर एक मनुष्य पर आने वाले इस भयंकर अंत अर्थात् मृत्यु के विषय में बहुत थोड़ा ही सिखाया गया है। कुछ लोगों को मृत्यु के बारे में अध्ययन करने की क्षमता या इच्छा प्रतीत होती है, और फिर भी यह सभी को निगल रही है और अनिवार्य रूप से वैज्ञानिकों और विद्वानों का इंतज़ार कर रही है। दर्द, रोना, बीमारी, चोट, भय, दुःख, टूटापन, निराशा और इच्छाए, हम तब तक अनुभव करते हैं जब तक कि मृत्यु हमें निगल न ले, अब जीवितों की भूमि पर वापस नहीं लौटना है। मनुष्य का कोख को छोड़ते ही सुर्यकी किरणों को अभिवादन करना, मृत्यु के समझौते में हस्ताक्षर करना है। इस में कोई पसंद या नापसंद नाही है। बाइबल कहेती है, “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं”। “क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है” (रोमियों 3:23; 6:23)। “और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है” (इब्रानियों 9:27)। हम सब अवश्य मरेंगे; और यदि इस जीवन में हम पर्मेस्श्वर से अलग हो गए, तो हम उनसे अनन्तकाल के लिए अलग हो जायेंगे। हम जीवन की भेंटो को हमेशा के लिए खो देंगे, जैसे कि प्यार, आनंद, सौंदर्य, सच्चाई, शांति, और खुशी और अनंत काल तक अपनी पीड़ा, अंधेरे, अकेलेपन, शर्म और अफसोस के साथ मौत की पीड़ाओं को झेलते हैं।
केवल एक व्यक्ति ने ही मृत्यु के भेदों को खोला है और मानव जाती के जीवन और अमरत्व की ओर ले जाने वाला “नया और जीवित मार्ग” प्रगट किया है वह है हमारा उद्धारकर्ता येशु मसीह, “जिस ने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया” (2 तिमोथी 1:10)। इतिहास उनके आसपास घुमाता है और संसार में उनके जीवन ने इतिहास को दो भागों में बाँट दिया B.C. और A.D. वह हमारे पापों के लिए मर गया, दफनाया गया, परमेश्वरकी सामर्थ के द्वारा जिलाए जाकर उसने पाप, मृत्यु, नरक और कब्र पर जय पाईं, इसलिए जीवन और मृत्यु उसके आसपास घूमते है। कई शिष्य उसके पुनरुत्थान के आँखों देखे गवाह थे और संसार के कई लाखो लोग आज यह गवाही देते है की वह सच में जिन्दा है। “मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं (प्रकाशित वाक्य 1:18)।
येशु ने क्रूस की मृत्यु तक अपने आप को नम्र किया। उसे हर एक मनुष्य के लिए मृत्यु चखनी पड़ी, “ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे; और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले” (इब्रानियों 2:9, 14, 15)।
पृथ्वी पर उसके जीवन के द्वारा, येशु मसीह ने तीव्रता से जीवन, मृत्यु और अमरत्व के बारे में सिखाया। पृथ्वी पर रहेने के समय, येशु मसीह ने बिमारों को चंगा करकें, मुर्दों को जिलाक़े, अन्धो को दृष्टी देके, बहिरो के कान खोलकर और लंगड़ो को चलाके यह प्रगट किया की वह आप ही जीवन और पुमरुत्थान है। उसने परमेश्वर पर विश्वास के जीवन को सिखाया और चमत्कारिक रूप से उन लोगों की भौतिक आवश्यकताओं को पूरा किया जिन्होंने उसकी मदद मांगी। मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में उसने पूर्ण निश्चय के साथ सिखाया। उसने आप ही हमारे पापों को उठाया और क्रूस पर हमारी सज़ा को अपने ऊपर ले लिया। फिर वह विजयवंत होकर मृत्यु से जी उठा ताकि हम उस पर विश्वास करे ओर यह जान ले की वह ही मार्ग, सत्य और जीवन है।
मार्ग – येशु वह जीवित मार्ग है जो आपको पिता के पास लाकर सारी परीक्षाओं पर जयवंत बनाता है, ताकि आप भी बिना भय के और अनन्त जीवन के संपूर्ण निश्चय के साथ, मृत्यु का सामना करे।
सत्य – येशु वह सत्य है जिसे आपका प्राण जानना चाहता है, वह जो आपको पाप और भय से मुक्त करेगा।
जीवन – येशु वह अनन्त जीवन है जिसका अंत शारीरिक मृत्यु नहीं कर सकती, जीवन जो अविनाशी और अमर शरीर को पहना रहेगा।
बहुत जल्द ही दुर्घटना, बिमारी या बुढ़ापे के द्वारा मृत्यु का दूत आपका प्राण मांगेगा। अनन्त मृत्यु में हंमेशा के लिए खो जाने से पहले, इस बात को जान ले की येशु आप की बड़ी आवश्यकता है। उसने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा” (युहन्ना 11:25)। प्रभु येशु मसीह पर विश्वास करे, अपने पापों से मन फिराए और उसको अपना उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करें। मृत्यु का आप पर कोई अधिकार न होगा क्योंकि परमेश्वर आपको पवित्रता की आत्मा से भर देगा जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया है।
आइये, सुने और सीखे। सत्य आपको पाप और मृत्यु से छुड़ाएगा। येशु जो पुनरुत्थान और जीवन है, वह आपको इस में आने के लिए आमंत्रित करता है।
प्रार्थना : “प्रिय प्रभु येशु, मैंने जान लिया है की मेरा एक ही जीवन है, जो जल्द ही बीत जाएगा। मैंने जान लिया है की में एक पापी हूं। मेरी सारी संपति और मेरे दोस्त मुझे नहीं बचा सकते। में आपके पास टूटे और पिसे हुए ह्रदय के साथ आता हूं। में अपने सारे पापों से मन फिराता हूं। कृपया मुझे माफ़ करे और मुझे साफ़ करे। आप से मिलने के लिए मुझे तैयार करे। आमीन”।
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