ईश्वर तुमसे प्रेम करते हैं
क्या तुम्हें पता है, तुमसे सर्वाधिक प्रेम कौन करता है? वे सर्वशक्तिमान ईश्वर जो हमारे निर्माता हैं (प्रकाशित वाक्य 1:8; उत्पत्ति 1:26, 27 2:7)। ये शाश्वत ईश्वर तुमसे इतना प्रेम करते हैं कि उन्होंने अपने एकमात्र पुत्र, यीशु मसीह को क्रूस पर मरने के लिए भेजा, कि तुम्हारे पापों को क्षमा किया जा सके (लूका 23:24)।
क्या तुम्हें पता है ईश्वर तुमसे इतना प्रेम क्यों करते हैं? क्योंकि वे ही वह दयालु प्रभु हैं जिन्होंने तुमको अपने स्वरूप में बनाया है। तुम्हारी आत्मा मर नहीं सकती और पूरी दुनिया में वह ईश्वर को सबसे प्रिय है (मत्ती 16:26)।
ईश्वर तुमसे प्रेम करते हैं, किन्तु वे पाप से घृणा करते हैं और वे उसका न्याय करेंगे। पाप ईश्वर को कष्ट पहुँचाता है; और वह तुम्हें उनसे दूर करता है। फैसले के दिन यीशु पापियों से कहेंगे “मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है”; “…परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।” (मत्ती 25:41, 46)
चूँकि पहले मानव आदम ने ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया, पाप, शाप, बीमारी तथा मृत्यु ने संसार में प्रवेश किया; हम सब पापी बन गए और हमें नरक के अनंत अग्नि का दंड मिला। फिर भी ईश्वर मनुष्य-जाति, जिन्हें उन्होंने बनाया, से प्रेम करते हैं, और उन्होंने यीशु की मृत्यु द्वारा उनका उद्धार किया और उन्हें वे सारे आशीर्वाद वापस दे दिए जिन्हें आदम ने अपने पाप और अवज्ञा द्वारा खो दिए थे। (रोमियो 5:1-21; इफिसियों 1:3-14)
तुम्हारे स्थान पर यीशु ने मृत्यु को गले लगाया ताकि तुम्हें दंड न सहना पड़े और यदि तुम उनपर विश्वास करो तो तुम सदा के लिए उनके साथ स्वर्ग में रह सकते हो। “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का बरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है” (रोमियो 6:23)।
तुम देख सकते हो ईश्वर कैसे तुमसे प्रेम करते हैं। अपने देवदूतों में से किसी को न भेज उन्होंने अपने एकमात्र पुत्र को तुम्हारा उद्धार करने भेजा क्योंकि वे तुमसे प्रेम करते हैं। यीशु ने कहा “क्योंकि परमेश्वर ने जगत् से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना 3:16) तथापि, ईश्वर पवित्र तथा न्यायपूर्ण हैं। वे तुम्हें तभी स्वीकार करेंगे जब तुम अपने पापों के लिए पश्चात्ताप करोगे और यीशु को स्वीकार करोगे।(यूहन्ना 3:3; रोमियो 3:24-26) यीशु ने कहा, “पश्चात्ताप करो और सुसमाचार में विश्वास रखो” (मरकुस 1:15)।
इसलिए, पश्चात्ताप करो और विश्वास रखो कि एकमात्र ईसा मसीह ने तुम्हारे पापों के लिए अपना जीवन न्योछावर किया है और उन्हें अपने व्यक्तिगत रक्षक और प्रभु के रूप में अपने हृदय में स्वीकारो। ईश्वर अवश्य तुम्हारे पापों को यीशु के रक्त से धोकर तुम्हें बेदाग कर देंगे। जब तुम ईश्वर के वचन सुनकर उनका पालन करोगे तो पवित्र आत्मा तुम्हारे जीवन को बदलकर तुम्हें एक नई आत्मा प्रदान करेगी। वे तुम्हें शुद्ध कर तुम्हें अपने प्रेम, आनंद और शांति, ज्ञान और शक्ति से भर देंगे और उनके साम्राज्य में रहने के लिए तुम्हारा मार्गदर्शन करेंगे।
प्रिय मित्र, सर्वशक्तिमान ईश्वर के वचन का पालन करो जो तुमसे प्रेम करते हैं। पश्चात्ताप करो और उनकी तरफ मुड़ो। तुम्हारे पास यही एक जीवन है, अचानक तुम्हारी मृत्यु हो सकती है, कब और कैसे, यह भी तुम्हें नहीं पता। किन्तु प्रभु दयार्द्र होकर तुम्हें अनंत जीवन के लिए तैयार होने का एक अवसर देते हैं। प्रभु की दयाशीलता के बिना तुम आग के दरिया में फेंक दिए जाओगे “जहाँ तुम्हारी आत्मा नहीं मरती और आग नहीं बुझती” (मरकुस 9:47, 48)। मृत्यु के बाद ईश्वर के न्याय के अलावा कोई क्षमा नहीं है (इब्रानियों 9:27)। ईसा मसीह पुनरुत्थान तथा जीवन हैं। वे मृत्यु की अवस्था से तुम्हें उठा कर तुम्हारे कर्मों के अनुसार तुम्हारा न्याय करेंगे (यूहन्ना 11:25, यूहन्ना 5:24-29) सोचो और अभी उस पर अमल करो। मृत्यु के समय तुम्हें ईश्वर, उसके न्याय और अमरत्व का सामना करना पडे़गा!
स्वीकार करो कि तुम पापी हो। तुम्हें एक मुक्तिदाता की आवश्यकता है, प्रभु यीशु, जो तुम्हें पापों से छुटकारा दिलाकर ईश्वर के प्रकोप और उनके फैसले से बचा सकते हैं। अभी, इसी समय सच्चे हृदय से इस प्रार्थना को कहकर ईश्वर से अपने पापों के लिए क्षमा की याचना करें।
प्रार्थना
प्रिय प्रभु, यीशु द्वारा सहन किए गए सजा के हकदार, मुझ पापी को क्षमा करें। मैं अपने सभी पापों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ और आपके उन्मुख हूँ। मैं यह स्वीकारता हूँ और विश्वास करता हूँ कि ईसा मसीह, आपके एकमात्र पुत्र, जिन्होंने कष्ट सहे और क्रूस पर मृत्यु को प्राप्त हुए, दफनाए जाकर मुझे पापों से छुटकारा देने हेतु जी उठे। कृप्या मुझे यीशु के रक्त से पवित्र करें और अपनी संतान के रूप में ग्रहण करें। मैं यीशु को अपने व्यक्तिगत मुक्तिदाता और अपने जीवन के प्रभु के रूप में मेरे हृदय में प्रवेश करने का आह्वान करता हूँ। आज से मुझे आपके लिए जीने में मदद करें। यीशु के नाम पर मेरी आत्मा को बचाने के लिए, मेरे पिता, आपको धन्यवाद। अमेन्।”
कितनी खुशकिसमती है जीवंत परमेश्वर की संतान होने का। तुम्हें सदा बचाने के लिए यीशु को धन्यवाद।
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