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तुम्‍हें शांति प्राप्‍त हो

शान्ति – कैसा मधुर और सुकून भरा शब्‍द। शान्ति – जिसे पाने के लिए मनुष्‍य की आत्‍मा अधीर है और विलाप करती है। लाखों लोग इसकी खोज में है, किंतु यह उनसे लाखों मील दूर है। संपत्ति इसे खरीद नहीं सकती, विद्वता इसे खोज नहीं सकती, और प्रसिद्धि इसे लुभा नहीं सकती। तुम भी शायद इस शान्ति को ढूँढ रहे हो, लेकिन तुम इसे खोजने में सफल नहीं हो पाए। कितनी ही बार तुमने अपनी हताशा दूसरों पर निकाली है, तुमने शायद अपनी जान दे देने की सोची है? यह सब इसलिए कि तुम में शांति की कमी है। तुमने नशीली दवाओं के सेवन द्वारा शायद शांति पाने की कोशिश की है, किंतु यह तथ्‍य सिद्ध हो चुका है कि नशा खत्‍म होने पर यह शांति हवा में विलीन हो जाता है। कुछ लोग ट्रांसेंडेंटल ध्‍यान अथवा योगासन का सहारा लेते हैं। अठारह महीनों से अधिक समय से ट्रांसेंडेंटल ध्‍यान का अभ्‍यास कर रहे लोगों पर किए गए चिकित्‍सीय परीक्षण ने यह खुलासा किया कि ये लोग ध्‍यान नहीं करने वाले लोगों की अपेक्षा दो गुना बार मानसिक अव्‍यवस्‍था के शिकार हुए हैं।

कुछ लोग बचाव के लिए एकान्‍त का जीवन जीते हैं। फिर उन्‍हें पता चलता है कि, अशान्ति का कारण दूसरे लोग नहीं वे स्‍वयं हैं। दुनिया से पलायन ने उन्‍हें उनके अपने ही प्रकृति के दूषित होने का प्रमाण दिया है। ऐसे जीवन का क्‍या प्रयोजन, जिसमें हमें अपने दैनिक समस्‍याओं का सामना करने में शांति और स्थिरता नहीं मिल सकती?

इस पथ को आपको बताने का कारण है कि हम आपका परिचय उस सत्ता से करवाना चाहते हैं ; केवल एक वे ही हैं जो आपको वास्‍तविक और चिरस्‍थायी शांति दे सकते हैं। वे कहते हैं, “शांति मैं तुम्‍हें देता हूँ। अपनी शांति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ…परेशान न हो, और न ही डरो।” ये महज खोखले शब्‍द नहीं बल्कि उनके शब्‍द हैं जिन्‍होंने यह प्रमाणित कर दिया है कि वे तुमसे प्रेम करते हैं, और तुम्‍हारी भलाई की जिन्‍हें परवाह है। कोई तुम्‍हें शांति नहीं दे सकता सिवाय उसके जिसके पास वह है। वे एक ही हैं, शांति जिनके पास है अधीन है और जो उसे तुम्‍हें देने का वादा करते हैं। उन्‍हें शांति का राजकुमार कहते हैं। उनका नाम यीशु है।

आप कह सकते हैं, “लेकिन यीशु वास्‍तविक नहीं हैं, और जिन्‍हें मैं देख नहीं सकता उनसे कुछ ले कैसे सकता हूँ?” यदि यीशु आपके लिए वास्‍तविक होते तो यह शांति भी आपके पास होती। वह आपके लिए वास्‍तविक नहीं हैं, इसका कारण है कुछ ऐसा जो आपको उनसे और उनकी शांति, जो वह आपको देना चाहते हैं; से अलग कर रहा है। और वह कुछ है आपका अपना पाप। अपने हृदय की गहराइयों में हम सब जानते हैं क्‍या सही है और क्‍या ग़लत। हमारी अंतरात्‍मा हमें कुछ कार्यों से परहेज करने के लिए कहती है, किंतु जब हम उसे अनसुना कर देते हैं तो वास्‍तव में हम उस आवाज को अनसुना करते हैं जो हमें अपनी शांति देना चाहते हैं। इस उद्धरण पर थोड़ा ध्‍यान दें, “यदि तुमने मेरे आदेशों पर ध्‍यान दिया होता, तुम्‍हारी शांति एक नदी के समान होती, तुम्‍हारी सदाचारिता समुद्र की लहरों के समान होती।” “यदि हम अपने पापों को स्‍वीकार लें, तो वे विश्‍वासी और निष्‍पक्ष हैं और वे हमें क्षमा करके हमें सभी दोषों से शुद्ध कर देंगे।”

अब यह तुम पर निर्भर है। यदि तुम सचमुच शांति चाहते हो तो तुम्‍हें करना यही है कि तुम अपना जीवन में जो कुछ भी ग़लत समझते हो उससे दूर हो जाओ और यीशु से क्षमा माँग लो। वे न केवल तुम्‍हें तुम्‍हारे पापों से मुक्ति देना चाहते हैं बल्कि सक्षम भी हैं, क्‍योंकि हम सब के पापों के फलस्‍वरूप ही उन्‍होंने क्रास पर अपना जीवन का बलिदान दिया। अत: यह तय कर लो कि वे जो भी तुमसे चाहेंगे तुम वह करोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्‍हें जो वास्‍तविक शांति प्राप्‍त होगी वह तुम्‍हारी कल्‍पना से परे होगा। यह तुम्‍हारे अस्तित्‍व पर छा जाएगी और तुमसे कभी अलग नहीं होगी। जब तुम्‍हारे पाप हट जाँएगे तो शांति का राजकुमार, यीशु तुम्‍हारे लिए वास्‍तविक बन जाँएगे।

पाप और बीमारी से मुक्ति तथा शांति, सभी साथ आते हैं। न केवल पाप से बचाने के लिए बल्कि हमें रोग और व्‍याधियों से बचाने के लिए भी यीशु ने कष्‍ट सहकर क्रास पर अपना जीवन न्‍योछावर कर दिया। जब तुम उन्‍हें अपना प्रभु और मुक्तिदाता मान लेते हो तो वे न तो सिर्फ तुम्‍हें क्षमा और आत्मिक शांति प्रदान करते हैं बल्कि तुम्‍हारे शरीर को रोगों से भी मुक्‍त करते हैं। राजा दाउद जिसने यह अनुभव किया था, ने कहा “ओ मेरी आत्‍मा, प्रभु की स्‍तुति करो, और उनके लाभों को न भूलो जो तुम्‍हारे पापों को क्षमा करते हैं और सभी रोगों से तुम्‍हारी रक्षा करते हैं।” विश्‍वास रखो कि जब तुम यीशु, शांति के राजकुमार से मिलोगे और उनसे उनकी शांति को ग्रहण करोगे तो तुम युद्ध और घृणा से त्रस्‍त इस दुनिया में अगाध शांति और स्थिरता ला पाओगे।

प्रार्थना : “प्रभु यीशु, आप शांति के राजकुमार हैं, और मुझे आपकी शांति की आवश्‍यकता है। मैं जानता हूँ कि वे मेरे पाप ही हैं, जिन्‍होंने मुझे आपसे अलग कर रखा है। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें और अपने अनमोल रक्‍त से साफ कर मेरे पापी हृदय को धो दें। आज, मैं आपको अपने प्रभु और मुक्तिदाता के रूप में स्‍वीकार करता हूँ। आज जो भी कहेंगे उसे करने को मैं तैयार हूँ, किंतु कृपया मेरी मदद करें। मुझे स्‍वस्‍थ करें और अपनी शांति मुझे प्रदान करें। अमेन्।” 

 

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