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आप विशिष्‍ट खास हैं 

किसी दिन एक पत्रिका पर दृष्टि डालते हुए मैंने यह दिलचस्‍प कथन बयान पढ़ा। हर एक को, कुछ बनने के लिए, किसी के लिए कोई बनना चाहिए। मैंने थोड़ा रूक कर इसे फिर से पढ़ा “हर एक को कुछ बनने के लिए, किसी के लिए कोई बनना चाहिए।” कैसा विचारोत्‍तेजक कथन है यह!

इस कंप्‍यूटरीकृत युग में जब जनशक्ति को वैज्ञानिक खोजों और आविष्‍कारों द्वारा प्रतिस्‍थापित किया जा रहा है, मनुष्‍य के वास्‍तविक महत्त्व की पहचान नहीं है। पुरूष और महिलाएँ नगण्‍य हैं। वर्कशाप में वे सिर्फ नंबर हैं, जीवन के मशीन का एक पहिया हैं, मनुष्‍यता के विराट् सागर में एक बूँद हैं। यह सत्‍य है कि कुछ लोग अपनी शारीरिक क्षमता, संगीत प्रतिभा, खेलकूद की क्षमता आदि के कारण प्रसिद्धि हासिल कर पाए हैं। ये लोगों की दृष्टि में आ गए हैं, किंतु अधिकांश लोग, जिनसे हम सड़क पर मिलते है, वे हमारे लिए अपरिचित होते हैं और हम उनपर ध्‍यान नहीं देते।

उत्‍तर पश्चिमी विश्‍वविद्यालय के मेडिकल स्‍कूल, संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के डॉ. डोनाल्‍ड फोरमैन के अनुसार, रासायनिक अंश के हिसाब से मनुष्‍य के शरीर का मोल सिर्फ डालर 3.50 है। अवनति के काल में औसतन शरीर में रसायनों का मोल सिर्फ 90 सेंट था। दुनिया के मुकाबले मनुष्‍य का कोई मोल नहीं। अक्‍सर बुर्जुग और युवा यह सोचकर निरुत्‍साहित हैं कि उनके लगातार प्रयासों के बाद भी उनके प्रयासों को समाज में कोई मान्‍यता प्राप्‍त नहीं हैं, उनके विचार स्‍वीकारे नहीं जाते और दुनिया पर उनका कोई प्रभाव नहीं है। उनका कोई महत्त्व नही, वे अपरिचित हैं।

बाइबिल में यीशु ने एक भेड़ का दृष्‍टान्‍त दिया था जो खो गया था। यह कहानी ल्‍यूक के सुसमाचार के पंद्रहवें अध्‍याय में है। एक चरवाहा था जिसके पास सौ भेड़ें थी। उनमें से एक खो गया। उसने निन्‍यानवे भेड़ों को छोड़ उस एक भेड़ को खोजने चल पड़ा। राह में अनेक खतरे थे किंतु उसे तो खोए हुए भेड़ को ढूँढना ही था। आखिरकार, उसे वह मिल गया। हाँ, उसने उसने यह कर दिखाया। उसने उसे अपने कंधों पर डाला, उसे लेकर घर आया, अपने पड़ोसियों को बुलाया और उनसे कहा : मेरे साथ्‍ आनन्‍द मनाओ, क्‍योंकि मैंने अपने खोए हुए भेड़ का पा लिया है। सिर्फ एक भेड़, लेकिन वह चरवाहे के लिए कितना महत्त्वपूर्ण था। यीशु आगे कहते है : “मैं एक अच्‍छा चरवाहा हूँ, अच्‍छा चरवाहा अपनी भेड़ों के लिए जान दे सकता है।” (यूहन्ना 10:11)

तुम उस खोए भेड़ की तरह हो सकते हो, अपने झुंड और घर से बिछुड़े हुए। किंतु अच्‍छे चरवाहे के लिए तुम एक महत्त्वपूर्ण व्‍यक्ति हो। उनके लिए तुम पूरी दुनिया की तुलना में काफी मूल्‍यवान हो; उसके अपने जीवन से भी ज्‍यादा मूल्‍यवान। बाइबिल कहता है : “जब हम पापी ही थे तभी मसीह ने हमारे लिए प्राण दिए।” (रोमियो 5:8)। वे नबी इसायाह के माध्‍यम से कहते हैं, “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपके दूघ पीए बच्चे को भूल जाए और अपके जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।” (याशयाह 49:15) उसे तुम्‍हारी फिक्र है। तुम्‍हारी वर्तमान हालत जो भी हो, उसकी दृष्टि में तुम्‍हारा अपार मूल्‍य है। तुम कोई विशेष हो।

पाठकों, इस उपदेश को फेंकने से पहले, इस तथ्‍य पर विचार करो। तुम एक अज्ञात, समाज से अपरिचित इंसान नही हो। तुम्‍हें शायद महसूस होता है कि तुम्‍हारी कोई परवाह नहीं करता, तुम्‍हें कोई नहीं समझता। लेकिन एक ऐसे है जिन्‍हें परवाह है और जो समझते हैं और हमारी इच्‍छा है कि तुम्‍हें उस व्‍यक्ति के संपर्क में लाएँ – और वे हैं – प्रभु ईसा मसीह। तुम हो उनके वह कोई – जिसे वे बचा सके, जिसके लिए वे मर सकें, कोई जिसकी उनकी दृष्टि में बहुत महत्त्व है और जो उनके लिए अत्‍यधिक मूल्‍यवान है। यीशु तुमसे प्रेम करते हैं। तुम्‍हें बचाने के लिए वे मरे; तुम्‍हें क्षमा करने के लिए वे जीते हैं, तुम्‍हें वह शांति, आनंद और संतोष देने के लिए जिसे तुम ढूँढ़ रहे हो। तुम यीशु और उनकी संतान बन सकते हो।

तुम कह सकते हो, “मैं बहुत दूर आ चुका हूँ, मेरे लिए कोई उम्‍मीद नहीं है, मैं अपनी पापों का गुलाम बन चुका हूँ और ऐसा कोई नहीं जो मेरी मदद करे।” ऐसे अनगिनत, हजारों लोग हैं – युवा और बुजुर्ग – जिन्‍होंने यीशु द्वारा नई आशा, नया जीवन, आनंद, शांति, जीने का कारण, जीवन का एक निमित्त और लक्ष्‍य पा लिया है। एक जीने योग्‍य जीवन उन लोगों ने यीशु में पा लिया है। यदि आप यीशु को अपना जीवन सौंप देते हैं तो यह आपके साथ भी हो सकता है। यह आपके साथ हो सकता है आज – अभी ही!

प्रार्थना : “प्रभु, मैं एक पापी हूँ। कृपया मुझे क्षमा करें। मैं अपनी सहायता स्‍वंय नहीं कर सकता, इसलिए मैं जैसा हूँ वैसा ही आपके पास आया हूँ। मैं विश्‍वास करता हूँ कि आप मुझसे प्रेम करते है और इसलिए आपने मेरे लिए मृत्‍यु को अपनाया। मेरी सहायता कीजिए कि मैं अपने बीते दिनों की तरफ अपनी पीठ फेर लूँ और आगे के सारे दिन आपका अनुसरण करूँ। मैं आपको अपने मुक्तिदाता उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में स्‍वीकार करता हूँ। मैं अपना पूरा जीवन आपको समर्पित करता हूँ। यीशु के नाम पर। अमेन्।”

 

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